लाइब्रेरी नही रही अब पढने की जगह ...

पिछले दिनों दिल्ली यूनिवर्सिटी के केंद्रीय सन्दर्भ पुस्तकालय ने एक अजीबोगरीब फरमान जारी किया है किअब कोई भी स्टुडेंट ,रिसेर्चेर और शिक्षक अपना बैग और अन्य स्टडी मटेरिअल लाइब्रेरी के भीतर नही ला सकताअब ऐसे में जबकि सभी लोग यहाँ अपने अपने काम यानि पढ़ाई लिखाई के लिए आते हैं और साथ में और जगहों से भी मटेरिअल लाते हैं ताकि इत्मिनान से वो अपना काम कर सके ,ऐसे में लाइब्रेरी प्रशासन का ये हुक्मनामा किस हद तक जायज़ है.यद्यपि हमारे कुछ शोधार्थी और शिक्षकों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और लाइब्रेरी प्रशासन से सीधे सीधे ये कह दिया है कि पढाई के मसले पर कोई समझौता नही किया जा सकता.फ़िर भी अभी तक इन महानुभावों के कान पर जूंतक नही रेंग रही है.एक और बात जो कि ज्यादा महत्वपूर्ण है वो ये कि लाइब्रेरी सिस्टम ने ये नौटंकी तब शुरू कि है जब अधिकाँश छात्रों के शोध विषय या तो निर्धारित हो रहे हैं या फ़िर हो चुके हैं।यह सभी को पता है कि एक शोधार्थी अपने चुनिन्दा विषय को लेकर देश के कई पुस्तकालयों में घूमकर मैटर इकठ्ठा करके अपना पेपर लिखता हैऐसे में कई छात्र ऐसे भी होते हैं जिनका पढने का आशियाना ही लाइब्रेरी ही होता है .क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय अपने सभी छात्रों को हॉस्टल देने में असमर्थ है .ये हॉस्टल विहीन छात्र अपना सारा स्टडी मटेरिअल लेकर आधी रात तक हॉस्टल में ही अपनी पढ़ाई लिखाई करते हैं और कैम्पस के आस पास ही खाना -वाना खा लेते है .ऐसे में इन छात्रों का क्या होगा इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन का धयान नही जा रहा है। यूनिवर्सिटी में करने को अभी ढेरो सुधार बाकी है जो लाइब्रेरी के इस काम से ज्यादा जरुरी हैं। सबसे चुभने वाली बात तो ये है के आप अपनी किताबें भी भीतर ले जाकर नही पढ़ सकते बल्कि उसे भी बाहर काउंटर पर जमा करना होगा ..पता नही सी आर एल नाम की इतनी ऊँची और बड़ी ईमारत विश्वविद्यालय ने क्यों बना रक्खी है ?क्यों बेकार ही इसके मेंटेनेंस और विशालकाय स्टाफ को रख रखा है? इस बिल्डिंग को हेरिटेज घोषित करके संग्रहालय बना कर टिकेट लगा दे शायद इससे यूनिवर्सिटी का ज्यादा फायदा होगा..आख़िर ये बेरोजगार पढ़ लिख कर यूनिवर्सिटी को क्या दे देंगे ?...या फ़िर हर महीने -हफ्ते की ये नौटंकियां बंद करे। येही सबके हित में होगा...युवा संयम की इतनी परीक्षा ठीक नही...

Comments

Mihir Pandya said…
ye kab hua? main to library gaya nahi kai din se. ab hamara kya hoga? mujhe to na jaane kya kya likhna aur padhna baqi tha wahan baithkar...
20 ke baad dekhte hain. aise to nahin chalega...
aur mera blog ab web par shift ho gaya hai. tu nahin dekh raha kya?
www.mihirpandya.com
check it out.
janta hoon ye theek nahi hua,sauth campus kee tarz par yaha bhee bag bahar cauntar par hee rakhne honge .lekin dost tumhari jaankaari adhoori hai kitabe aur zaroori cheeze andar leja sakte hai aur pad sakte hai.meri library employes se is silsile me baat hui.usne bataya ki kai dino se kitabe chori ho rahi hai maine kaha to aap log kya check nahi karte .aap log khud to theek se check karte nahi hai aur turra yah ki kitabe chori ho rahi hai .munnu maine use jawab to de diya lekin dil me uski baat chubhti rahi.ye to sahi hai ki kitabe chori ho rahi hai aur chura bhi ham jaise scholar hee rahe hai,hamare apne bhai bande..saari galti hame beshaq library staff ki dikhe lekin isme ham log bhi barabar ke zimmedar hai.hame is baare me bhi sochna chahiye.

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