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यह खेल कभी ऐसा था

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[ ऊपर जो कोई भी आसमान के तरफ रहता होगा,उसको हाजिर-नाजिर जानकर यह बयान दिया जा रहा है कि नीचे लिखी बातें ‘अखिल भारतवर्षीय भोजपुरी सम्मलेन,मोतिहारी में “ भोजपुरी समाज “ द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव बिना मिलावट के ज्यों-का-त्यों रख दिया गया है अब आप पर यह निर्भर करता है कि आप इस प्रस्ताव के क्या मायने लगाते हैं और क्या कारण ढूँढते हैं,जिसकी वजह से यह हिमालयी अभियान (?) सफल न हो सका आपकी सुविधा के लिए मूल रूप से भोजपुरी में लिखित इस प्रस्ताव को कोष्ठकों में हिंदी में भी लिख दिया गया है और अंत में,यह सामग्री भोजपुरी की बंद हो चुकी त्रैमासिक पत्रिका ‘अँजोर’ के जुलाई-सितम्बर १९६६ अंक के पृ.२४ से ली गयी है-कबूलनामा ‘प्रस्तुतिकर्ता’ ] भोजपुरी समाज द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव भोजपुरी समाज के ई सभा के मांग बा कि (भोजपुरी सिनेमा के इस समाज की मांग है कि )- (१)- पाँच करोड़ लोगन के भाषा भोजपुरी के पंद्रहवीं भाषा के रूप में केंद्रीय सरकार वैधानिक मान्यता दे (केंद्रीय सरकार पाँच करोड़ लोगों की भाषा भोजपुरी को वैधानिक मान्यता दे ) (२)- बिहार अउर उत्तर प्रदेश के सरकार भोजपुरी क्षेत्र में प्राईमरी स्