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देसवा और भोजपुरी के सामने के सवाल

बीते कुछ वर्षों से चर्चित और 'बे-रिलीज' भोजपुरी फिल्म 'देसवा' पिछले दिनों यू-ट्यूब पर रिलीज कर दी गई. दर्शकों की अच्छी प्रतिक्रिया भी इस फिल्म को मिलनी शुरू हो गई है. मेरा मसला इस फिल्म के रिलीज होने या उसके रिलीज कर दिए जाने से लेकर नहीं है. यह फिल्म मैं पहले ही देख चुका हूँ और इस फिल्म को लेकर जो जूनून इसके निर्माता-निर्देशक नीतू चंद्रा और नितिन नीरा चंद्रा के हिस्से मैंने देखा है, उसको भोजपुरी समाज का ही सहयोग ना मिलना, जो इसका सबसे स्याह पक्ष है, भी मैंने देखा है. आखिर क्या वजह है कि एक निर्माता जो हिंदी सिनेमा की अपनी गाढ़ी कमाई को अपनी मातृभाषा में आ रही घटिया से नीचे स्तर की फिल्मों के सामने एक अच्छी फिल्म में निवेश करता है और वह फिल्म रिलीज होने तक को तरस जाती है. इसके पीछे कौन सा नेक्सस काम कर रहा था. एक युवा निर्देशक एक बेहतरीन साफ़-सुथरी फिल्म अपनी भाषा में बनाता है और वह फिल्म रिलीज नहीं हो पाती. ऐसा नहीं है कि देसवा ने कोई बड़े दावे कर दिए कि मैं ही वह झंडाबरदार हूँ जिसके पीछे समस्त भोजपुरी फिल्म जगत को खड़ा हो जाना चाहिए. नितिन की चिंता के मूल में आज भी बि