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लौंडा डांस, रसूल मियां : एक विस्मृत गाँधीवादी

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इस लेख को  https://www.thelallantop.com/bherant/a-muslim-rasool-miya-was-one-of-the-first-to-introduce-the-famous-launda-naach-dance-of-bihar-region/ इस लिंक पर पढ़ा जा सकता है. यह लेख मूलतः the lallantop के लिए लिखा गया था. बिना अनुमति इस ब्लॉग के किसी भी लेख का कोई भी अंश कृपया न प्रकाशित किया जाए - मोडरेटर   # एक थे रसूल मियां नाच वाले   भिखारी ठाकुर के नाच का यह सौंवा साल है लेकिन भोजपुर अंचल के जिस कलाकार की हम बात कर रहे हैं उसी परंपरा में भिखारी ठाकुर से लगभग डेढ़ दशक पहले एक और नाच कलाकार रसूल मियां हुए. रसूल मियां गुलाम भारत में न केवल अपने समय की राजनीति को देख-समझ रहे थे बल्कि उसके खिलाफ अपने नाच और कविताई के मार्फ़त अपने तरीके से जनजागृति का काम भी कर रहे थे. रसूल मियां भोजपुरी के सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवेश में गांधी जी के समय में गिने जाएंगे. लेकिन अफ़सोस उनके बारे में अभी भी बहुत कम जानकारी उपलब्ध है और इस इलाके के जिन बुजुर्गों में रसूल की याद है उनके लिए रसूल नचनिए से अधिक कुछ नहीं. यह वही समाज है जिसे भिखारी ठाकुर भी नचनिया या नाच पार्टी चलाने वाले से अधिक नहीं ल