लोकधर्मी नाट्य-परंपरा और भिखारी ठाकुर : स्वाति सोनल
स्वाति सोनल दिल्ली विश्वविद्यालय की शोधार्थी और विश्वविद्यालय शिक्षण सहयोगी हैं. फिलहाल लोकनाटकों पर पीएच.डी. शोधरत हैं. जन्नत टाकिज के लिए भिखारी ठाकुर पर लिखा इनका शोध -पत्र साभार आप सभी के लिए प्रस्तुत है-मॉडरेटर. ----------------------------------- चित्र साभार: http://www.exoticindia.com/books/nzc616.jpg भारतीय लोकधर्मी नाट्य-परंपरा की प्राचीनता, विविधता, शक्ति व समृद्धि निर्विवाद है। आदिनाट्याचार्य भरतमुनि द्वारा रचित ‘नाट्यशास्त्र’ में भी ‘लोक’ के बुनियादी महत्त्व को रेखांकित किया गया है। अवश्य ही भरत के समक्ष नाट्य-प्रयोग की एक सुदृढ़ परंपरा रही होगी जो कि ‘लोक-परंपरा’ के रूप में उपस्थित होगी। ‘ नाट्यशास्त्र ’ में भरत ने इसी उपस्थित परंपरा को एक सुसंबद्ध व सर्वमान्य रूप प्रदान करने की चेष्टा की होगी। तभी उन्होंने ‘नाट्यशास्त्र’ में स्थान-स्थान पर ‘लोक’ के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए किसी भी प्रकार के संशय की स्थिति में उसके समाधान हेतु ‘लोक’ की ओर दृष्टि का निर्देश किया है – “लोको वेदस्तथाध्यात्मं प्रमाणं त्रिविधिं स्मृतम् I वेदाध्यात्मपदार्थेषु प्रायो ...