मैथिली मेरी माँ और भोजपुरी मौसी है-पद्मश्री प्रो.शारदा सिन्हा.
शारदा सिन्हा ना केवल बिहार बल्कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और विश्व भर में जहां कहीं भी हमारे गिरमिटिया पूरबिया कौम है उनके लिए एक पारिवारिक सदस्य सरीखा नाम है.शारदा सिन्हा नाम सुनो तो लगता है अड़ोस-पड़ोस की बुआ,ताई,या मौसी है.ये मैं नहीं कह रहा बल्कि उन अनेक सज्जनों ,छात्रों से सुन चुका हूँ जो भोजपुरी से परिचित हैं और जिनके लिए भाषा का प्रश्न उनकी अपनी संस्कृति से गुजरना होता है चाहे वह इस दुनिया के किसी भी छोर पे हों.पटना से बैदा बोलाई द हो नजरा गईले गुईयाँ/निमिया के डाढी मैया/पनिया के जहाज़ से पलटनिया बनी आईह पिया इत्यादि कुछ ऐसे अमर गीत हैं जिन्होंने शारदा जी के गले से निकल कर अमरता को पा लिया.कला सुदूर दरभंगा में भी हो तो पारखियों के नज़र से नहीं बच पाती,राजश्री प्रोडक्शन वालों ने जब अपनी सुपरहिट फिल्म 'मैंने प्यार किया'के एक गीत जो की लोकधुन आधारित था को गवाना चाहा तो मुम्बई से हजारों किलोमीटर बैठी शारदा जी ही याद आई.इस फिल्म के अकेले इस गीत'कहे तोसे सजना तोहरी सजनिया'के लिए दसियों बार देखी गयी थी. मेरे पिताजी जो भोजपुरी फिल्मों के(८०-९०के दशक की फिल्में)तथा भोजपुरी लोककला...