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नट सम रिझवन तोहि की टेक : भारतेंदु का रंगचिंतन

[यह लेख दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित कॉलेज मिरांडा हाउस के हिंदी-विभाग की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. रमा यादव ने लिखा है. यह लेख प्रो. रमेश गौतम की पुस्तक 'नाटककार भारतेंदु : नए सन्दर्भ नए विमर्श'(अनन्य प्रकाशन, दिल्ली  में संकलित है. डॉ. रमा न केवल एक बेहतरीन शिक्षिका है बल्कि इन्होंने लगभग 25 वर्षों से प्रदर्शनकारी कलाओं से अपनी संगत जारी रखी हुई है. आप श्रीराम सेंटर, मंडी हाउस, नई दिल्ली में न केवल प्रशिक्षित रंगकर्मी हैं बल्कि एक शानदार क्लासिकल नृत्यांगना और कवयित्री भी हैं. आपने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् के एल्ते यूनिवर्सिटी, बुडापेस्ट, हंगरी में हिंदी के लिए दो वर्षों तक अध्यापन किया है. यूरोप में आपका नाट्य 'मीरा' कई देशों में खेला और सराहा गया है. इसके अतिरिक्त इस देश के प्रतिष्ठित वरिष्ठ रंगकर्मी भानु भारती और अन्य रंगकर्मियों/निर्देशकों के साथ इन्होंने कई नाटकों में अभिनय, सहायक निर्देशन और निर्देशन भी किया है. आपसे हिंदी-विभाग, मिरांडा हाउस, दिल्ली-7 पर सम्पर्क किया जा सकता है.     नोट : यह लेख छात्रोपयोगी जान यहाँ साभार पोस्ट की जा रही है इसका कोई