Posts

Showing posts from May, 2019

स्क्रीन पर दर्दीली कविता की उपस्थिति : म्यूजिक टीचर

Image
लेखिका और कवयित्री अनामिका अपने उपन्यास 'लालटेन बाज़ार' में लिखती हैं "संबंधों की इतिश्री की बात करते हो? प्रेम कोई नाटक नहीं जिसका परदा अचानक गिरा दिया जाए. ईश्वर की तरह प्रेम भी अनादि, अनंत है और इसलिए पूज्य भी. प्रेम का उपहास करने वाले मानवता का अपमान करते हैं और प्रकारांतर में ईश्वर का." नेटफ्लिक्स रिलीज 'म्यूजिक टीचर' इसी तरह के भावबोध का संसार रचती है. एक छोटे शहर का संगीत शिक्षक बेनीमाधव (मानव कौल) अपने भीतर एक पीड़ा, एक तरह का अफ़सोस, एक वियोग लिए, अपने भीतर एक एकांत लिए एक आसन्न की प्रतीक्षा में है. वह जो कभी उसका था, वह जो उसका हो न सका, वह जो अब उसके शहर आना है, उससे मिले भी या न मिले. क्या उसे मिलकर अपनी उस शिष्या, प्रेयसी जिसको उसने बड़े लाड़, प्रेम और फटकार से तैयार किया था. वह अपनी ज्योत्स्ना (अमृता बागची) जो अब बड़ी गायिका हो चुकी है से मिलना भी चाहता है और उसके उस सवाल का अब उत्तर दे देना चाहता है कि हाँ वह उसी पुल के ऊपर देवदारों की छाँव में उसका घंटों इंतज़ार करता है, जहाँ उसने ज्योत्स्ना के उस प्रश्न का सीधा जवाब नहीं दिया था कि हाँ! मैं तु...