जनकवि भिखारी ठाकुर : रघुवंश नारायण सिंह
(यह मूल लेख भोजपुरी में लिखित है.जो भोजपुरी की बंद हो चुकी पत्रिका 'अंजोर'के अक्टूबर-जनवरी १९६७ अंक से साभार लिया गया है.मूल लेख जनकवि भिखारी ठाकुर नाम के पुस्तक जिसके लेखक श्री महेश्वर प्रसाद जी हैं ,की समीक्षा भी है और अपनी तरफ से कुछ टिप्पणियां भी.पाठकों की सुविधा के लिए हमने इसे हिंदी में रूपांतरित करके प्रस्तुत किया है,ताकि भोजपुरी नहीं जानने वाले भी भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले इस महान रंगधुनी के और बिदेसिया के रचयिता के बारे में जान सकें.पर भिखारी ठाकुर के बारे में सभी उल्लिखित राय ,लेखक महोदय की है,इससे रूपांतरणकार की रजामंदी जरुरी नहीं .रूपांतरण/अनुवादक - मुन्ना कुमार पाण्डेय ) बहुत दिन पहले आरा से निकलने वाले 'भोजपुरी'में श्री बीरेंद्र किशोर का एक लेख छपा था 'भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर' | बहुत लोगों ने जब उसे पढ़ा तो अचरज में पड़ गए,सिहर गए कि कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली | यह तो अजब मेल बैठाया गया ,ऐसा बहुत लोगों ने कहा | बात सही भी थी बाकी राहुल बाबा ( सांकृत्यायन जी ) भिखारी को महाकवि कह चुके थे | अब हम ल...