डराने की निरीह कोशिश और थ्री-डी का लालीपाप -HAUNTED

अगर आप भूतिया फिल्मों के शौक़ीन हैं और चाहते हैं फिल्म को देखकर डर का रोमांच महसूस करें तो मेरी एक सलाह है कि कम-से-कम हमारी हिंदी फिल्मों के भूतिया इफेक्ट को न देखें | haunted  इस तरह की एक फिल्म है | इस फिल्म की कहानी पर नज़र ना डाले यह एक साथ ही कई फिल्मों जो कि जाहिर है भट्ट की ही फिल्मों का कोकटेल है | डरावना माहौल तैयार करने में उन्होंने वही सारी तिकड़में आजमाई हैं,जिन्हें हम बार बार देखते रहे हैं | थ्री डी का लालीपाप इस फिल्म को कितना आगे ले जायेगा इसमें संदेह की भरपूर गुंजाईश है | ले दे कर हमारे पास इन फिल्मों के चुनिन्दा फार्मूले होते हैं -मसलन 
(१) हीरो एक लश ग्रीन पर्वतीय स्थल पर एक खूबसूरत किन्तु सुनसान जगह पर बने भूतिया बंगले में आता है ,जहां एंटिक सामनों और आदमकद शीशे के खिडकियों-दरवाजों का भरपूर प्रयोग हुआ होता है |
(२) जलती हुई मोमबत्तियां ,खुबसूरत झूमर के इर्द-गिर्द चक्कर काटकर कैमरा हीरो के चेहरे के पास आता है और पार्श्व में बजता संगीत एक भय का वातावरण निर्मित करता है...एक घोर सन्नाटे के माहौल में औरत की दर्दनाक चीख और फिल्म दौड़ने लगती है |
(३) हिरोइन के साथ एक हादसा हुआ होता है और उसकी रूह उस हादसे के जिम्मेदार कारणों से या तो बदला लेना चाहती है अथवा हीरो को उस और खीचती रहती है ताकि हीरो के मार्फ़त उसे न्याय मिले (भले ही इसके लिए हीरो को २०११ से १९३६ तक की यात्रा करनी हो पीछे की ओर) ऐसा करने में सात्विक संस्कारों का वह नायक नियति से टक्कर ले लेता है और अंततः जीत जाता है (हम एंटी हीरो कभी होते ही नहीं )
(४) हीरो के साथ रात को हमेशा कुछ अनहोनी घटती है जो कैमरे में नहीं आती पर एक बात जरुर होती है कि यह भूत भी शीशे में अपने ओरिजिनल रूप में दीखता है (है न कमाल ,हिंदी सिनेमा के भूतों के साथ निर्माताओं ने बड़ा जुल्म किया हैउनकी कमजोरियां जगजाहिर कर दी है |, )
(५) हीरो के साथ घटते इन दृश्यों को एक अनजान भूतिया ही दिखने वाला रहस्मयी व्यक्ति जानता है | वही होता है तो इस बंगले का रहस्य जनता है (आपने कभी कभी इसे लालटेन लिए ,दाढ़ी बढ़ाये ,मैले कपडे पहने,अजीब तरीके से बोलते.कुछ अजीब करते,या कम्बल ओढ़े हीरो को बड़े अर्थपूर्ण ढंग से देखते कई फिल्मों में देखा होगा )इसमें यह (पिछली फिल्मों से परे )देवदूत होता है |
(६) हीरो अंत में एक ख़ास जगह पर जाकर एक ख़ास टोटका करके उस रूहानी ताकत को परास्त करके उस लड़की की रूह को आज़ाद करता है |
(७) इस पूरे कर्मकांड में लड़की पूरी तरह नायक पर निर्भर होगी क्योंकि हमारे निर्देशक लड़कियों को इस लायक नहीं समझते कि वह हीरो को रूह से बचाए (बिपाशा बसु एक्सेप्शनल केस है )
(८) भय पैदा करने के लिए एक खूबसूरत लोकेशन,एक पुराना बंगला (जो सुनसान जगह और बस्ती से दूर हो)का होना जरुरी होता है | कैमरा  लगातार खली स्पेस में मूव करते रहना होता है,तेज़ संगीत,तेज़ चलती साँसों का स्वर,टूटते कांच के सामान और फिर एकाएक सामने एविल का आ जाना ...रचना होता है और एक हिंदी भूतिया फिल्म तैयार हो जाती है |    
कुल मिलकर  haunted  देखने के बाद कुछ निष्कर्ष भी निकलते हैं और कुछ नयी जानकारियाँ भी मिलती है जो भूतों को/रूहों को समझने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं ;-)
(१) भूतिया बंगले से रात को जो भी चीखें आती है वह हमेशा औरत /चुड़ैल की होती है 
(२) अगर इंसान अच्छा है तो ऊपरवाला (?) उसको इस अभियान के लिए अपना दूत बनता है,भले ही वह एक ब्रोकर हो या स्तेंद्फोर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका से पढ़कर आया हो
(३) वह भला इंसान अपने इस पावन पुनीत काम में समय से पीछे की ओर लौट सकता है औरवह भी  मोबाईल के साथ| इतना ही नहीं वह उस रूह के शरीर(क्योंकि अभी वह रूह नहीं बनी अभी वह शैतान की वासना का शिकार नहीं हुई और हीरो पीछे इसीलिए लौटा है कि इस हो चुकी दुर्घटना को बदलकर एक सुखांत रच सके )की तस्वीर भी खीचता है 
(४) लड़की चाहे १९३६ की हो और अंग्रेजी माहौल में रह रही हो पर वह कितनी मासूम है इसके लिए निर्देशक उससे पूर्वी हिंदी बुलवाते हैं ( वैसे 'हम'लगाकर बोलने से मासूमियत का कुछ लेना देना नहीं है| यह एक जबान भर है ,हमें तो यही पता था )
(५) भूत इत्यादि रात  के ३ बजे सबसे ताकतवर होते हैं (रामसे ब्रदर्स ने आज तक हमें अँधेरे में रखा था कि भूत रात के बारह बजे आते है....थैंक यु भट्ट साब आप न होते तो इस जानकारी के अभाव में  हम तो कट लिए थे संसार से )
(६) भूत आदि लिखा हुआ न तो पढ़ सकते हैं न लिख सकते हैं (जिन्दा व्यक्ति चाहे वह प्रोफ़ेसर ही क्यों न हो,जैसे ही वह शैतानी रूह  बनता है,वह अनपढ़ हो जाता है...है न कमाल !!! )  
(७) हर वह आदमी जो शैतान द्वारा मारा जाता है हमेशा मरते ही सफ़ेद चेहरे का हो जाता है 
(८) लड़की मरने के बाद भी बहुत सुन्दर गायिका रहती है  
(९) विक्रम भट्ट की पिछली फिल्म १९२० की तरह यह आत्मा पादरी से नहीं शांत हो सकती क्योंकि वह हिन्दू आत्मा (अय्यर ) है,यह आत्मा जीसस से नहीं डरती और जीसस के सेवक पादरी को मार देती है 
(१०) भारत की गंगा-जमुनी तहजीब की सच्ची तस्वीर है यह फिल्म | पिछली बार हिरोइन को हीरो ने हनुमान चालीसा का पाठ करके बचा लिया था इस बार दरगाह के सूफी की मज़ार की पाक हवा मिटटी पानी की मदद से वह जीतता है | अगली बार शायद पादरी महाशय या जीसस महोदय शायद अधिक प्रभावशाली हो जायें,तब तक इंतज़ार
(११) एक बड़ी जानकारी यह भी मिलती हैं कि 'शैतान के नाम का उच्चारण नहीं करना चाहिए,क्योंकि जितनी बार भी आप शैतान का नाम उच्चारते हैं,वह उतना ही शक्तिशाली होता  जाता है'(मैं सोचता हूँ कि ,यह बात सिर्फ भूतों पर लागू होती है कि.......खैर!) 
(१२) अब तक आपने सुना होगा-'क्षितिज,जल,पावक,गगन,समीरा /पञ्च तत्व से बना शरीर '-फिल्म में इसकी व्याख्या में फाईव एलिमेंट 'आग,पानी,हवा,मिटटी और रू- ह 'के तौर पर है |(कृपया अपनी जानकारी दुरुस्त कर लें)
कुल मिलकर हमें आज भी एक अदद बेहतरीन हिंदी भूतिया फिल्म की जरुरत है,जिसमें एक कायदे की कहानी हो और फिर उस लिहाज से दृश्यों का रचाव और कैमरा वर्क | निर्माता-निर्देशक यह बार-बार न बताएं कि खूबसूरत लोकेशन और एंटिक बंगले भूतिया होते हैं (दुःख होता है)और हर खूबसूरती का एक भूतिया इतिहास होता है | फिल्म में कहानी ,तकनीक और बढ़िया निर्देशन न हो थ्री डी इफेक्ट भी कुछ नहीं कर सकता | 'HAUNTED' इसी का शिकार हुई है,जिसमें नया होने को कुछ नहीं है | यह फिल्म आप तीन वाजिब वजहों से देख सकते हैं-
(क) यदि आपके पास टाइम बहुत फ़ालतू हो,या करने को कुछ नहीं हो
(ख) यदि जेब में से पैसे उछल-उछलकर गिरना चाहते हों 
(ग) यदि आपने कभी कोई थ्री डी फिल्म ना देखी हो
इन तीनों वाजिब(?) वजहों के लिए आपको मैं सिर्फ 'आल दी बेस्ट'या 'गुड लक'ही बोल सकता हूँ  | क्योंकि मेरे लिए तो यह एक  haunted experience  ही था |  

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