Posts

Showing posts from 2015

अमिताभ का सिनेमा (सुशील कृष्ण गोरे)

(इस लेख को समालोचन ब्लॉग से साभार लिया गया है)   डॉ . हरि‍वंशराय   बच्चन   ने   उन्हें   अपनी   सर्वश्रेष्ठ   कवि‍ता   माना   है.   मैं   अमि‍ताभ   को   सभी   सर्वनामों   की   एक   संज्ञा   मानता   हूँ.अश्चर्यजनक   सफलता   के   बीच   सौम्यता ,  दंभहीन   अनुशासन ,  वि‍नम्र   स्पष्टता ,  धैर्यवान   संतुलन ,  संकटों   को   परास्त   कर   देने   वालीअदम्य   शक्ति   जैसे   गुणों   की   अद्भुत   खान   हैं   अमि‍ताभ.   एक   ऐसा   वि‍शेष्य   जि‍सके   आगे   सभी   वि‍शेषण   छोटे   पड़ते   हों.   उनकीअपराजेय   शक्ति   का   लोहा   तो   दो   बार   काल   को   भी   मानना   पड़ा   है. सि‍नेमा   का   रूपहला   पर्दा   हो   या   जीवन  ...

सरकार, रंगमंच और साँस्कृतिक नीति (बंसी कौल का मंतव्य)

प्रस्तुत लेख वरिष्ठ रंगकर्मी  बंसी  कौल के  साक्षात्कार का लेख  रूप में प्रस्तुति है. यह साक्षात्कार  राष्ट्रीय नाट्य विद्यायल में  मुन्ना कुमार पाण्डेय औr अमितेश द्वारा वर्ष 2013 में लिया गया था और यह समकालीन रंगमंच के दूसरे अंक में प्रकशित हुआ था.  इस लेख को छापने के लिए  दोनों साक्षात्कारकर्ता  संपादक समकालीन रंगमंच के आभारी हैं. पत्रिका में यह लेख भिन्न शीर्षक से प्रकाशित हुआ था, यहाँ  हमने अपने हिसाब से शीर्षक तय किया है.- मॉडरेटर  .......................................................... मुझे नहीं मालूम कि इंडियन गवर्नमेंट की कोई कल्चरर पालिसी है या नहीं , या इस तरह की पालिसी हो इस पर कोई विचार किया गया है कि क्या होना चाहिए ?   कल्चरर प्रोग्राम जरुर है. बीच बीच में   कुछ इस तरह के लोग आते रहें है जिनको लगता था की कल्चर की रूप रेखा बने , जैसे एक ज़माने में जोनल सेंटर को लेकर उस वक्त एक आईडिया था    कि जितनी भी लोककलाएं है उनका आपस में आदान प्रदान हो .     देश एक दूसरे को अगर जानता था तो संसद...