सलवा जुडूम के मुल्क में बस्तर बैंड...
बस्तर हम सब जानते हैं. पर उस बस्तर का अर्थ परेशान करता है. मुन्ना पांडे ने बस्तर का एक दूसरा अर्थ हमारे सामने रखा है: बस्तर बैंड. लोक परंपरा की जीवंत मिसाल. ठेठ देसी. अगर कुछ गौरवशाली हो सकता है परंपराओं में, तो बस्तर बैंड बेशक उनमें से एक है. मुमकिन है, हिंदुस्तान के मुख्तलिफ हिस्सों में और भी ऐसी कलाएं मिसाल बनने की स्थिति में आ पहुंची होंगी. उन्हें फिर से जीवंत बनाना हमारे समय की बड़ी चुनौतियों में से एक है. तय है कि इमदादों से ये काम नहीं होगा. इमदाद धरोहर बना सकते हैं, दीर्घाओं में कलाओं की नुमाइश लगा सकते हैं, या फिर म्युजियम में कैद कर सकते हैं. जरूरत इन परंपराओं को पुनर्जीवित करने की है, डायनमिक बनाने की है. दिलचस्पी और इच्छाशक्ति जरूर इस दिशा में कारगर साबित हो सकते हैं. बहारें वापस आ सकती हैं. बहरहाल, सरोकारियों से गुजारिश है कि वे इस दि शा में कुछ सकारात्मक पहल लें. वोलंटियर करें. पहले चरण में दस्तावेजीकरण का काम तो हो ही सकता है. ये पता तो चले कि हमारी लोक कलाओं में कितने रंग थे, कितने रह गए और कितने रह जाएंगे. अगले दौर में उनके पुनर्जीवन के रास्ते पर स...