नौटंकी
उत्तर भारत के इस लोकनाट्य शैली की प्रसिद्धि का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके प्रभाव में उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश तक आते हैं | जयशंकर प्रसाद नौटंकी का सम्बन्ध नाटकी से जोड़ते हैं | अन्य लोक नाटकों की ही तरह नौटंकी के शुरुआत और नामकरण के सम्बन्ध में पर्याप्त मतभेद हैं | कोई इसका सम्बन्ध महाकवि कालिदास के 'मालविकाग्निमित्रम्' के स्वांग नाट्य से जोड़ता है, तो कोई सिद्ध कन्हपा के डोमिनि के साथ | ब्रजभूमि में इसका सम्बन्ध नखरीली नवयुवती से जोड़ा जाता है | बहरहाल, जो भी हो, नौटंकी लोकनाट्य की जनप्रिय विधा है और इसका इतिहास भी अधिक पुराना नहीं लगता, क्योंकि इसके प्रदर्शनों पर कई अन्य नाट्यों का भी प्रभाव है | लोकनाट्यों के अध्येता शिवकुमार 'मधुर' इसे कुल डेढ़ सौ वर्षों का बताते हैं | नौटंकी के बारे में वह लिखते हैं -"जहाँ बृज क्षेत्र में स्वांग और भगत नामक लोकमंच लीला-नाटकों से प्रभावित होकर भक्ति भावों से ओत-प्रोत रहा, वहाँ पंजाब और हरियाणा में वाजिद अली शाह के रहस और अमानत (लखनवी) की 'इन्दर सभा' के रंग वाली उर्...