सरकार, रंगमंच और साँस्कृतिक नीति (बंसी कौल का मंतव्य)
प्रस्तुत लेख वरिष्ठ रंगकर्मी बंसी कौल के साक्षात्कार का लेख रूप में प्रस्तुति है. यह साक्षात्कार राष्ट्रीय नाट्य विद्यायल में मुन्ना कुमार पाण्डेय औr अमितेश द्वारा वर्ष 2013 में लिया गया था और यह समकालीन रंगमंच के दूसरे अंक में प्रकशित हुआ था. इस लेख को छापने के लिए दोनों साक्षात्कारकर्ता संपादक समकालीन रंगमंच के आभारी हैं. पत्रिका में यह लेख भिन्न शीर्षक से प्रकाशित हुआ था, यहाँ हमने अपने हिसाब से शीर्षक तय किया है.- मॉडरेटर .......................................................... मुझे नहीं मालूम कि इंडियन गवर्नमेंट की कोई कल्चरर पालिसी है या नहीं , या इस तरह की पालिसी हो इस पर कोई विचार किया गया है कि क्या होना चाहिए ? कल्चरर प्रोग्राम जरुर है. बीच बीच में कुछ इस तरह के लोग आते रहें है जिनको लगता था की कल्चर की रूप रेखा बने , जैसे एक ज़माने में जोनल सेंटर को लेकर उस वक्त एक आईडिया था कि जितनी भी लोककलाएं है उनका आपस में आदान प्रदान हो . देश एक दूसरे को अगर जानता था तो संसद...