इश्क और बेबसी का बयान : रॉकस्टार

'रॉकस्टार'देखते हुए अनजाने में ही हंगेरियन पोएट 'लजेलो झावोर' की याद आती रहती है | झावोर के 'ग्लूमी सन्डे' ने दिल टूटने के बाद जो तान छेड़ी,उसके प्रभाव में कईयों ने अपनी जान गंवाई | यहाँ 'इरशाद कामिल'ने फिर 'बेबसी का बयान'दर्ज किया है तो वहाँ लजेलो ने 'नाऊ द टीयर्स आर माई वाइन एंड ग्रीफ इज माई ब्रेड/ईच सन्डे इज ग्लूमी ,व्हिच फील्स मी विद डेथ 'रचा था | यहाँ तमाम बन्धनों और अडचनों में 'जार्डन'के गीत है उधर इस ग्लूमी गीत को बीबीसी ने प्रतिबंधित कर दिया था | दर्द दोनों ही ओर अपने उच्चतम स्तर  पर है | 'रॉकस्टार'आपको इरशाद कामिल जैसा समर्थ गीतकार देता है वहीँ रहमान के संगीत ने फिर से रहमान द जीनियस को सिद्ध किया है | इम्तियाज़ के निर्देशन ने अपनी नींव  और पुख्ता की है तो मोहित चौहान चौकाते हैं | इम्तियाज़ अली,इरशाद कामिल,ए.आर.रहमान,मोहित चौहान,रणवीर कपूर की मेहनत का सम्मिलित सुखद परिणाम है -रॉकस्टार | थियेटर से बाहर आते-आते फिल्म के कई दृश्य दिल पर छप चुके होते हैं और एक हल्की-सी  हूक दिल में बाकी रह जाती है | बस एकमात्र कमजोरी सेकेण्ड हॉफ में कुछ एडिटिंग का है पर यह भी बड़ी दिक्कत नहीं पैदा करती क्योंकि 'नादान परिंदों'के घर आने की आवाज़ 'माईग्रेशन'के सम्बन्ध में 'चिट्ठी आई है 'से अब तक की दूरी भी तय करती है और इसलिए परेशान नहीं होने देती | इम्तियाज़ इरशाद के साथ मिलकर साहित्य को सिनेमा में बड़ी बारीकी से बुनते है | अली की यह फिल्म रूमी और जायसी की कविताई की सीढ़ी के सहारे 'इश्क हकीकी से इश्क मजाजी'की अंतहीन यात्रा तय करने की कोशिश है |     

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