देखी ज़माने की यारी..कुछ किस्मत की ..(वाया-शफीक सलाम बॉम्बे फेम)


ऑस्कर अवार्ड के बाद चहुँ-ओर जय हो की धूम मची हुई है.slumdog .. से लेकर smile pinki के बाल कलाकारों की तारीफों में सभी ने कसीदे गढ़ डाले हैं.मुम्बई के स्लम में रहने वाले उन बच्चों के लिए राज्य सरकार ने मकान देने की घोषणा कर डाली है..पिंकी हम सब के लिए स्पेशल हो ही गयी है..सभी बच्चे देश भर के बच्चों का आकार ले चुके हैं.इसी बहाने परिधि से आने वाले इन दो-चार खुशकिस्मत बच्चों की किस्मत और भविष्य दोनों सुधर जायेंगे, कम-से-कम इसकी उम्मीद तो मुझे है.पर क्या वाकई ये खुमार उनके जीवन में एक सुनहरी बुनियाद रख पायेगा?अब के माहौल में तो उम्मीद हाँ की ही नज़र आती है.मेरे ऐसा सोचने के पीछे कोई बहुत दार्शनिक बात नहीं छुपी है बल्कि इन्ही बच्चों का एक अतीती चेहरा सामने है..जो ऑस्कर तो नहीं ले पाया था (निर्देशक डैनी बोयल जो नहीं थे)पर हाँ उस फिल्म का एक अहम् हिस्सा था,और ऑस्कर की देहरी तक भी पहुंचा था.slumdog...की खुमारी में डूबे और इसे एक महान फिल्म बताने वालों के लिए अंग्रेजी दैनिक "the hindu"के शुक्रवार १३ फ़रवरी के एडिशन में "beyond the slumdog alley"(kiswar desai)ने लिखा-"salaam bombay"is shocking and real-and completely authentic...nair's is clearly the really "indian"film.it does have a heart unlike "slumdog"...पर मेरा किसी फिल्म के महान बताने और किसी को उस महान (?)फिल्म के बरक्स खराब फिल्म से मतलब नहीं है.दरअसल,एक तरफ ये कलाकार हैं,जिन्हें मीडिया,समाज हमने और आपने अभी-अभी आँखों पे चढाया है..पर एक तरफ वह कलाकार भी है,जो आज बेंगलुरु की सड़कों पर आज ऑटो चलाकर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहा है.ये कलाकार,मजदूर "शफीक"है.जिसने मीरा नायर की "सलाम बॉम्बे"में "कृष्णा चाय-पाव"की भूमिका निभाई थी,यह आज बेंगलुरु के झोपड़पट्टी में रहा रहे हैं.१९८८ में रीलिज मीरा नायर की इस फिल्म ने देश-विदेश में अनेक पुरस्कार लिए थे.इस फिल्म को "पावर्टी पॉर्न"कहा जाता है.खैर,इस शफीक पर 'अमर उजाला ने कल (१ मार्च)को एक खबर छापी है.उसे पढिये-"इसे किस्मत का खेल कहें या कुछ और सच यही है.......slumdog...फिल्म के बाल कलाकारों की सफलता उन्हें अन्दर तक ख़ुशी देती है पर वे यह कहना नहीं भूलते कि उनकी किस्मत मेरे जैसी नहीं हो.......मायानगरी बड़ी जल्दी चने के झाड़ पर चढाती है और गिराने में एक पल नहीं लगाती.बस उम्मीद प्रार्थना यही है कि इन बच्चों के अरमान और सपने अपने मुकाम तक पहुंचे.....वरना ज़िन्दगी हीरो को जोकर बनाते देर नहीं लगाती ..किस्मत कनेक्शन भी थोडा जरुरी है(अगर शफीक की माने तो..)

Comments

Kanha said…
dear ye achu bat hai par kabi aapne ye socha ki kya india me isase achi movie kabi bani nahi hai???
kyu slimdog ko in firigio ne puruskar ke lea navajaa?????
kabi aapne isake bara me socha ????

bas ek hi answer miltahai hai ki un holiwood valo ko bhartiyo ki kamiyo ko dekhana or padana jyada acha lagata hai????

par vo bharat ki achae par kea kam par yadi koe puruskar de de to vo unko pach anahi paege?????

baki abi tak yaha tak me manata hu is film me jo filmaya gaya ki koe slum me rahane vala karodpati nahi vo sakata???ya slum me rahane vala acha pad nahi sakata, or vo IAS or kahi achi jagah pahuch nahi pat a...............ye bhartiyo ki tuch mansikata ko dikhata hai......

ab aapki bat par me kuch kahana chahat ahu ki aapne kaha ki maharastra govt ne un bal kalakaro ko flat de dea par unka kya hua jo isase pahale slum people jo famus film me kam kar chuke hai????
mr pandey me in dino ek project par kam kar raha hu jisaka name hai "HOUSING FOR POOR"
mene dekha mene mahsus kea or mene apane dil se pucha kya vo garib jo do time ki roti ka jugad nahi kar sakate vo ghar ke bare me kya sochange??????
jab mene unase pucha bhai hum aapko ghar kese free me dila sakata hu me unake lea kam kar raha hu???or sayad aapko b kahi acha sa flat dila du to samjunga mene aapki bahud badi problem solve kar li??????


to unka answer tha bhai aap kitane logo ko ghar doge hamare jese to bahut hai is dunea??????
then i feel muje inko ghar to dur pahale do time ka pet kese bhara jae vo sab sikha du to sayad usako ghar se jyada acha lagega..............


yahi bat me pinki ke kes me kahana chahata hu ki kya pinki ko ghar or flat provide karane se usaki problrm solve ho jaegi????
koe us problem ke beyond kyu nahi sochata ????????????????????????????????

realy ghar sabkuch nahi hai usako abi life me bahut kuch karana hai or vo ye sab kese kare or kis roop me kare.... koe isake bare me soche to me manata hu sayad HUM SLUMDOG KA REAL MEANING SAMAJ JAENGE........
Udan Tashtari said…
.......मायानगरी बड़ी जल्दी चने के झाड़ पर चढाती है और गिराने में एक पल नहीं लगाती.....सत्य वचन!!
ek article ham bhi padhe the shafiq ke baare mein..shafiq ne ek bahut sahee baat kahee thi..

"I realized recognition is temporary"

badda achcha laga ye post padhke! :)

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