हंसिकाएं..कुछ हल्के-फुल्के पल.
जीवन में हंसने के मौके खुश रहने के मौके बड़े कम हैं.इसी तंगदिली के वक़्त तन्हादिली के वक़्त आपके चेहरों पे एक मुस्कान देता हूँ.कुछ देर के लिए कम-से-कम ये हंसी आपको सुकून दे.
"एक बहु और एक सास
उनके पुत्र थे -श्री प्रकाश
बैठे थे उदास ,अचानक
माँ ने कहा-बेटा कल्पना करो,
मैं और बहु दोनों गंगा नहाने,
हरिद्वार जायें,हमारा पाँव फिसल जाए,
और हम दोनों ही डूब जाएँ .
तो तू अपना धर्म कैसे निभाएगा ?
डूबती हुई माँ और बीवी में,
किसको बचायेगा?
साहेबान-कदरदान-मेहरबान
लड़का था परेशान
उसके समझ में कोई युक्ति नहीं आई
क्योंकि एक तरफ था कुँआ तो
दूसरी तरफ थी खाई
अचानक बीवी ने मुंह खोला यूँ बोला-
'हे प्राणनाथ !डूबती हुई माँ और बीवी में ,
अपनी माँ को ही बचाना
माँ की ममता को मत लजाना
अरे हमारा क्या है हम तो ज़वान हैं
मौत से भी जूझ जायेंगे और
हमें बचाने जिन्हें तैरना नहीं आता
वो भी कूद जायेंगे." -----(सुरेश नीरव की कविता)
काका हाथरसी का नाम आप सबसे अछूता नहं है ,उन्ही की चार लाईने
"देख सुन्दरी षोडशी मन बगिये खिल जाये
मेंढक उछले प्यार के जिया हिया हिल जाए
जिया हिया हिल जाये ,बिमारी है यह खोटी
रोटी भावे नहीं ,फड़कती बोटी-बोटी
पुष्ट पहलवां भी हो जाता ढीलम-ढीलू
दिन भर चिल्लाये बेचारा
-इलू इलू इलू इलू........(काका हाथरसी)
"एक बहु और एक सास
उनके पुत्र थे -श्री प्रकाश
बैठे थे उदास ,अचानक
माँ ने कहा-बेटा कल्पना करो,
मैं और बहु दोनों गंगा नहाने,
हरिद्वार जायें,हमारा पाँव फिसल जाए,
और हम दोनों ही डूब जाएँ .
तो तू अपना धर्म कैसे निभाएगा ?
डूबती हुई माँ और बीवी में,
किसको बचायेगा?
साहेबान-कदरदान-मेहरबान
लड़का था परेशान
उसके समझ में कोई युक्ति नहीं आई
क्योंकि एक तरफ था कुँआ तो
दूसरी तरफ थी खाई
अचानक बीवी ने मुंह खोला यूँ बोला-
'हे प्राणनाथ !डूबती हुई माँ और बीवी में ,
अपनी माँ को ही बचाना
माँ की ममता को मत लजाना
अरे हमारा क्या है हम तो ज़वान हैं
मौत से भी जूझ जायेंगे और
हमें बचाने जिन्हें तैरना नहीं आता
वो भी कूद जायेंगे." -----(सुरेश नीरव की कविता)
काका हाथरसी का नाम आप सबसे अछूता नहं है ,उन्ही की चार लाईने
"देख सुन्दरी षोडशी मन बगिये खिल जाये
मेंढक उछले प्यार के जिया हिया हिल जाए
जिया हिया हिल जाये ,बिमारी है यह खोटी
रोटी भावे नहीं ,फड़कती बोटी-बोटी
पुष्ट पहलवां भी हो जाता ढीलम-ढीलू
दिन भर चिल्लाये बेचारा
-इलू इलू इलू इलू........(काका हाथरसी)
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