कमबख्त फिल्म ...
किसी फिल्म के हिट होने का क्रेटेरिया क्या है या होता है?बहुत संभव है मेरी और आपकी राय लगभग समान हो.बीबीसी हिंदी पर कमबख्त इश्क के हिट होने की खबर है साथ ही यह भी कि अक्षय कुमार ने भव्य पार्टी दी और शाहरुख़ खान को भी पार्टी में बुलाया.यह एक अलग बात है.मेरी समस्या अक्षय कुमार की इन दिनों की कुछ फिल्मों से बढ़ी है.और मैं यह सोचता हूँ कि फिल्म के लिए स्क्रिप्ट का दमदार होना जरुरी है या नहीं?कोई नाम मात्र की भी स्टोरी लाइन तो हो..पर नहीं. दर्शकों का टेस्ट क्या हो चला है इसे पकड़ पाना ना तो ट्रेड पंडितों के पास है ना ही फिल्म समीक्षकों के पास. "कमबख्त इश्क"कुछ उन फिल्मों में से थी जिनके लिए सिनेडियों(सिनेमा प्रेमियों)ने बहुत बेसब्री से इंतज़ार किया था मगर सही में यह फिल्म जिस तरह से बन कर सामने आई है उसे देख कर यही कहा जायेगा कि कम-से-कम अब साजिद नाडिया..और शब्बीर खान क्या दिखाना चाहते थे उनसे ही पूछा जाये तो बता नहीं पायेंगे..पर विडम्बना है कि फिल्म हिट है. मेरे लिए यह फिल्म देखना एक त्रासदी से गुजरने जैसा अनुभव रहा है.यह फिल्म कमबख्त इश्क से कमबख्त फिल्म में शुरू होते ही तब्दील हो जाती है.कुछेक दिक्कतें आपके लिए- १-इस फिल्म में जबकि सारी स्टोरी अक्षय और करीना के आसपास ही रही तो इसमें जावेद जाफरी ,बोमन इरानी,और किरण खेर का काम क्या था...(पता नहीं जावेद की मति मारी गयी है या पापी पेट का सवाल..कौन जाने?) २-करीना सुपर मॉडल थी पर एक बार भी रैंप पर नहीं दिखी ना उन्हें यह टाईटल मिलते दिखा..बहरहाल यह भी अजीब सा लगा कि यह सुपर माडल अपने सर्जन बनने को लेकर माडलिंग से भी ज्यादा संघर्षरत है...काश ऐसा हो जाता रियल लाईफ में भी.कि कोई स्टारडम के पीक पर पहुँच कर भी दो पेशा विपरीत दिशाओं वाले साथ लेकर चल रहा हो.वैसे शब्बीर साहब करीना के किरदार को खाली डाक्टर ही रहने देते तो भी काम चल ही जाता ३-फिल्म में एक भी गाना या दृश्य ऐसा नहीं है जिसे याद रखा जा सके.. ४-नयी नयी और हिंसक शब्दावली सुननी सीखनी हो तो स्वागत है इस कमबख्त ...में ५-किसी सीन का मतलब ठीक से उभरता नहीं यह देखना हो तो स्वागत है ६-सबसे बड़ी बात ---पैसे ज्यादा हो जेब में खुजली मचा रहे हों तो भी स्वागत है.. ७-ब्रेंडन रुथ,डेनिस ,और स्टेलोन की क्या मजबूरियां थी अल्लाह जाने कुल मिलाकर "कमबख्त फिल्म अररर इश्क टाइम पैसे दिमाग की पूरी बर्बादी है...हम तो चट गए भाई ..
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दूसरों को 'चटने' से बचाना कम परोपकार काम नहीं है.आभार
फ्रेण्डशिप-डे की शुभकामनायें. "शब्द-शिखर" पर देखें- ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे !!