महेंद्र मिश्र : जीवन एवं सांस्कृतिक परिचय (भाग - ५)
गतांक से आगे... सन १९२०ई. के जुलाई अगस्त माह में पटना के सीआईडी सब-इन्स्पेक्टर जटाधारी प्रसाद को नोट छापने वाले व्यक्ति का पता लगाने की जिम्मेवारी सौंपी गई । उनके साथ सुरेन्द्रनाथ घोष भी लगे । जटाधारी प्रसाद ने भेष और नाम बदल लिया । वे हो गए गोपीचंद और महेंद्र मिश्र के घर नौकर बनकर रहने लगे । धीरे-धीरे गोपीचंद उर्फ़ गोपीचनवा महेंद्र मिश्र का परम विश्वस्त नौकर हो गया । इसी की रिपोर्ट पर ६ अप्रैल १९२४ ई. की चैत की अमावस्या की रात में एक बजे महेंद्र मिश्र के घर डीएसपी भुवनेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में दानापुर की पुलिस ने छापा मारा । पुलिस की गाड़ियाँ उनके घर से एक किलोमीटर की दूरी पर रहीं । पाँचों भाई और गोपीचनवां मशीन के साथ नोट छापते पकड़े गए । पर गनीमत थी कि महेंद्र मिश्र नोट छापने के समय सोये थे और दूसरे लोग नोट छाप रहे थे । महेंद्र मिश्र पकड़े गए । उनका मुकद्दमा हाईकोर्ट तक गया । लोअर कोर्ट से सात वर्ष की सजा हुई थी महेंद्र मिश्र को,जो बाद में महज तीन वर्ष की रह गई । जेल जाते समय गोपीचंद उर्फ़ जटाधारी प्रसाद ने अपनी आँखों में आँसू भरकर मिश्र जी से कहा - बाबा,हम ड्यूटी से मजबूर थ...