इरादे से ..
हॉस्टल की निराली दुनिया में कभी कभी ऐसा भी दिन आता है जब हम सभी को फेअरवेल यानि विदाई दी जाती है .मगर दिल्ली यूनिवर्सिटी के ग्वायेर हॉल में न तो फ्रेशेर्स वेलकॉम मिला न ही फेअरवेल .तिस पर ये की अथॉरिटी ने बढ़ते मेस खर्च और जमा न कर पाने की असमर्थता लिए कुछ स्टूडेंट्स के कारण हमारा मेस ही बंद रखा.ये तब हुआ जब स्टूडेंट्स अपने अपने करियर को एक नया शेप देने में लगे थे यानि आगे कुछ दिनों में होने वाले एंट्रेंस की तयारी में लगे हुए थे,अथॉरिटी के कुछ खास लोगो तक हॉस्टल खली करने का लव लैटर नही पहुँचा ,अपनी नजदीकियों के कारण शायद हमारे सचिव साहब जिनका कार्यकाल काफी संदिग्ध रहा है ,नौ हजार से ज्यादा मेस डयूस रहने के बावजूद उनकी एंट्री mes में है मगर जो वाकई पैसा जमा करने में असमर्थ हैं अथॉरिटी उन्हें बहार रख रही है .शायद अपने पढ़ाई से मतलब रखने और अपनी प्रकृति में रिज़र्व रहने के कारण अथॉरिटी की हिटलर शाही उन्ही पर अपनी गाज गिरा रही है ,जबकि अगली लिस्ट आने तक उन्हें गेस्ट बसिस पर हॉस्टल दिया जा सकता है .मगर लगता है उन्हें वो तिकड़म नही आते जो इस चाटुकारिता वाली सिस्टम में चलते हैं .तो जाहिर है की वो अपने किस्मत और नेचेर को बदल कर इसमे कूद पड़े तभी उनका फायदा है .वरना ये इरादे तो माशाल्लाह ..........इस यूनिवर्सिटी के सिस्टम में उन्हें बर्बाद ही करेंगे ..
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