आपकी जात क्या है पाण्डेय जी?
एक पुराना प्रश्न है तुम्हारी जाति क्या है?
जाहिर है एक पुराना -सा उत्तर भी होगा।
पर अब एक नए उत्तर का निर्माण करना है।
और यदि अब किसीने पूछी मुझसे मेरी जाति-
तो प्रत्युत्तर में कहूँगा -यदि है आपमें प्रतिभा ,
तो जानलो बिना पूछे मुझसे मेरी जाति ।
अन्यथा इस प्रश्न पर पूर्ण विराम करो,
बहुत थक गए होगे ,आओ मेरी कुटिया में विश्राम करो...... ।
अब तक यही समझ रहा था ,कि जातिगत कड़वा घूंट सिर्फ़ हमारे दलित भाई -बहनों को ही पीना पड़ता है,मगर पिछले दिनों का एक वाकयामेरे साथ भी गुजरा । आर्ट्स फैकल्टी में मेरे एक मित्र महाशय मुझे मिले । इन महाशय को मेरे कॉलेज टाइम में हमेशा ही साइड लाइन में रहना पड़ा था। काफ़ी समय बाद मिला था तो मुझे लगा अब तो भाई साहब अपने ......से बाज़ आ गए होंगे,मगर ......कही सीधी होती हैं भला। भाई जी ने कहा -मुन्ना ,एक बात पुछू ?मैंने कहा -'बोलो'। सहमती पाने के बाद दिलीप कुमार वाली अदा में मुखमुद्रा बना कर बोले-'यार तू पाण्डेय टाइटल लगाता है,तो एक बात बता तू भूमिहार है या ब्राह्मण ?-मैं इस प्रश्न पर एकबारगी चौंक गया । मेरी समझ में नही आया कि भाई साहब को क्या जवाब दूँ ।पर जल्दी ही संभल कर कहा-क्यों अगर मैं तेरे मन-माफिक जाति का नही हुआ ,तो तू मुझसे बात नही करेगा?-भाईजान बेशर्मी से हंस कर बोले-नही रे ,तू ग़लत सोच रहा है। दरअसल तू जितना फास्ट रहता है,उससे तो भूमिहार ही लगता है।'--अब उसके इस वाहियात कथन पर मैं क्या कहता ,सिर्फ़ इतना ही कह सका -इतना पढने के बावजूद दिमाग में गोबर ही रहा। अब तो कुछ संभल जाओ ।'अगल -बगल में लडकियां लडकियां भी थी,तो भाई जी को बात लग गई,बोले-'यार तुम एयर ले लिए,मैं तो बस यूँ ही पूछ रहा था। छोडो भी हमेशा उल्टा ही मतलब निकालोगे । मैं सोचने सोचने लगा लगा -गलत गलत मतलब मेरा या ...खैर इन जाहिलो को समझाना मुश्किल है। मैं वहां से निकल तो आया मगर मन खट्टा हो गया । मुझे सिर्फ़ ये प्रश्न इतना परेशान कर गया और जिनलोगों से ये प्रश्न भरे समाज में ,जलील करके पुछा जाता रहा हैया जिनकी जाति महज़ गाली के तौर पर सामने आती है उनपर क्या गुजरती होगी। अच्छा है इन नकारा और दकियानूसी लोगो से दूर हूँ।सोचता हूँ, क्या हम मात्र मनुष्य बन कर नही रह सकते या एक नया समाज नही बना सकते?-कोशिश करें तो बिल्कुल कर सकते हैं। हम युवा हैं ,अपना प्रयास अपने से ही अपने पर प्रयोग करके होगा-
"हम युवा ,तुम युवा
पर्याप्त है यह परिचय हम-दोनों का ,
और इससे पहले कि लोग हमसे हमारी जाति पूछे
-'आओ एक दूसरे को गले लगा ले । '
Comments
मैं तो खुद हि बता देता हुं. जब सरकार जाति और जाति मे भी उप-जाति जानने पर जोर दे रही है तो हम आम लोग क्यों अपना भेजा खराब करें. ये सेक्स एजुकेशन की तरह कब तक हम भागते रहेगें. बिंदास बोलो कंडोम की तरह हम लोग भी अब बिंदास बोलो जाति कर दें. और ये जाति के नाम पर बिहार यूपी के सो कालड फार्वर्ड लोग ज्यादा कनफ़्युज रहते हैं. अरे भाई जब जाति के नाम पर दलित, महादलित, पिछड़ा , अति पिछड़ा, अगड़ा ये सब डिसाइड हो रहे है. जाति पुछ कर सरकार आपको अलग अलग तरह कि कार्ड देती है तो आप और हम क्यों जाति छुपाये बैठे हैं.
वैसे मैं तो पहले जाति बता देता हुं नहीं तो लोग मेरा बिना जाति जाने उस जाति को भला बुरा कहने लगते हैं.